Wednesday, February 4, 2009

महंगाई रोकने का प्रयास

महंगाई है कि घटने का नाम ही ले रही है। ये तो अमेरिका के दुस्साहस की तरह बढ़ती जा रही है। ऐसा लगता है महंगाई ने भी अमेरिका से ही प्रेरणा ली है। जिस तरह अमेरिका किसी की बात नहीं मानता है उसी तरह महंगाई की भी नीयत है। खुले आम चुनौती देती महंगाई, बढ़ जाऊंगी, बताओं क्या कर लोगे? दम है तो रोक के दिखाओ। किसी में दम है जो अमेरिका को रोके फिर महंगाई कैसे रूक सकती है। जिसने भी अमेरिका को रोकने का जोखिम उठाया है उसका हाल इराक की तरह हुआ है। बुश साहब ने वहां ऐसी भुखमरी फैला दी कि लोग अपने से ही नहीं फुर्सत हैं महंगाई के लिए कौन रोए? यूपीए सरकार भी महंगाई से बहुत परेशान है।

निगोड़ी सौतन की तरह पीछे पड़ गई है इस सरकार के। सरकार भी करे तो क्या करे। इधर जनता हाय महंगाई, हाय महंगाई का रोना रो रही है उधर लेफट वालों ने करार के नाम पर धमकिया-धमकिया के जीना हराम कर रखा है। आनन-फानन में मीटिंगें बुलाई जा रही हैं। एक मीटिंग पर सरकार लाखों खर्च कर देती है, लेकिन ये महंगाई है कि रूकने का नाम ही नहीं ले रही। एक नेताजी ने मीटिंग में चिंता व्यक्त की- महंगाई पर इतना ध्यान देने की क्या जरूरत है। कहां हैं महंगाई? हमें तो नहीं दिखती? आलाकमान को नेक सलाह देते हुए कहा- करार की ओर ध्यान दीजिए। अमेरिका से रिश्ते अच्छे रहे तो हमारी पार्टी पर उनकी कृपा हमेशा बनी रहेगी। बस लेफट वालों को चाय-बिस्किट खिलाकर एक बार फिर संभाल लीजिए।

जनता का तो काम है, चीखना-चिल्लाना। रोने दीजिए उन्हें। हमारे पांच साल पूरे होने में कुछ ही महीने बाकी हैं, बीत जाएंगे। रही बात अगले चुनावों की तो जनता चुनाव के समय जाति-पाति के खुमारी में इतनी डूबी होती है कि उन्हें महंगाई-सहंगाई कुछ नहीं दीखती। जीतेंगे जरूर, और मान लो नहीं जीते तो करार का प्यार काम आएगा। अमेरिका हमारा साथ देगा तो किसी की क्या हिम्मत? पड़ोसी देश से सीख लो। अमेरिका को खुश रखो बुरे वक्त में काम आएगा। आलाकमान को भी बात पसंद आ गई, कहने लगी तब तक लोगों को कुछ सांत्वना तो देना ही पड़ेगा। नेताजी बोले- इसका भी एक उपाय है, एक बयान दे दीजिए कि महंगाई को काबू में करने की कोशिश कर रहें हैं और सारा किया धरा राज्य सरकारों के मत्थे मढ़ दीजिए। साल तमाम आसानी से कट जाएगा। इतना सुनकर आलाकमान ने अपने सचिव को मीडिया को बुलाने की जिम्मेदारी सौंप कर सभा बर्खास्त की।

धर्मेद्र केशरी

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