Wednesday, February 4, 2009

ये कैसी ‘श्रीराम सेना

एक दिन भगवान श्रीरामचंद्र सीता जी के साथ फुर्सत के पलों में बैठे थे। अचानक उनके दिल में ख्याल आया कि जरा अपने पूर्व कर्मभूमि ‘मृत्युलोकज् की भी खोज-खबर ले ली जाए। बादलों का पर्दा हटाकर उन्होंने नीचे देखा। देखा तो कुछ अराजक तत्व महिलाओं के साथ मारपीट कर रहे थे। तभी वहां सीताजी आ गईं, उन्हें देखकर रामचंद्र जी ने नीचे देखना छोड़ दिया। वो सीताजी की ओर देखने लगे। सीताजी भगवान की मनोदशा समझ गईं, बोलीं ‘आप को पता है नीचे क्या हो रहा है?ज् रामजी बोले- नहीं, मुङो तो नहीं पता, कौन हैं ये लोग जो महिलाओं पर अत्याचार कर रहे हैं? सीताजी के चेहरे के भाव बदल गए, वो बोलीं- ये आपकी ही तो सेना है, श्रीराम सेना।

राम जी को जसे काटो तो खून नहीं, वो चौंककर बोले- मेरी सेना! मेरी सेना ऐसा नहीं कर सकती, सुग्रीव और हनुमान ऐसा नहीं कर सकते हैं! सीताजी भगवान की जिज्ञासा ताड़ गईं, वो बोलीं- हां भगवन, ये आपकी ही सेना है, लेकिन आप हनुमान और सुग्रीव को दोष न दें, उनका कोई कसूर नहीं है, ये कलयुग की श्रीराम सेना है, इन्हें महिलाओं की आजादी रास नहीं आ रही है। भगवान श्रीाम का चेहरा गंभीर हो गया। वो कहने लगे- सीते, मुङो पता होता कि मेरे एक अवतार पर लोग इतना बवाल मचाएंगे तो मैं धरती पर कभी अवतार नहीं लेता। सच कहूं तो मुङो धरती की ओर देखते हुए भी डर लगता है। इस देश में अधिकतर मेरे ही नाम पर विवाद होता है, कभी मेरे मंदिर के नाम पर, कभी सेतु के नाम पर तो कभी मेरी सेना के नाम पर। यकीन मानो वैदेही, मैंने इन लोगों से कभी नहीं कहा कि तुम महिलाओं पर अत्याचार करो, मैं कभी महिलाओं की आजादी का विरोधी तो नहीं रहा हूं। इतना कहते ही भगवान श्रीराम सकुचाते हुए बोले- मुङो पता है कि तुम्हारी अग्नि परीक्षा लेकर मैंने एक गलती कर दी थी, उस मर्यादा को निभाने का खामियाजा मुङो आज भी भुगतना पड़ रहा है। मेरा संदेश तो महिलाओं और पुरुषों के लिए बराबर है कि मदिरापान किसी को नहीं करना चाहिए, फिर भी लोग न जाने क्यों मुङो ढाल बनाकर अपना उल्लू सीधा किया करते हैं।

सच कहूं, तो अब कभी अवतार लेने का मन नहीं करता है। जब लोग मेरे नाम का सहारा लेकर ढोंग करते हैं तो बड़ी तकलीफ होती है। सीताजी चुप रहीं, उन्होंने बस इतना कहा- आप इतना परेशान न हों प्रभु, आधी आबादी अभी भी उपेक्षित है प्रभु, जब तक लोगों की मानसिकता नहीं बदलेगी,स्त्रियों पर ऐसे अत्याचार होते रहेंगे।

धर्मेद्र केशरी

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