Wednesday, June 17, 2009

भूली-बिसरी एक कहानी..

एक कहानी पढ़ी थी बचपन में। कहानी कुछ यूं है कि एक लड़का पढ़ने में बहुत तेज था। हमेशा क्लास में अव्वल आता था। सभी उसकी तारीफ किया करते थे और उसे पलकों पर बिठाकर रखते थे। नतीजा ये हुआ कि वो घमंडी, लापरवाह और चिड़चिड़ा हो गया। सफलता का घमंड उस पर कुछ इस तरह हावी हुआ कि उसने पढ़ाई करना छोड़ दिया, क्योंकि उसे भरोसा था कि वो ही अव्वल आएगा। नतीजा ये हुआ कि वो क्लास में टॉप टेन की पोजिशन पर भी नहीं पहुंचा और किसी और मेहनती बच्चे ने प्रथम स्थान हासिल किया।

ये कहानी सिर्फ मैंने ही नहीं, पूरे हिंदस्तान ने जरूर सुनी होगी, सिवाय भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को छोड़कर। अगर धोनी ने ये कहानी सुनी भी होगी तो शर्तिया तौर पर वो भूल गए होंगे और अब जरूर उन्हें ये कहानी याद आ रही होगी। आइपीएल में पैसों की बारिश में इतना भीग गए कि देश के लिए खेलते वक्त नजले ने धर लिया। सिर्फ धोनी ही नहीं, पूरी टीम बीमार हो गई और नतीजा, एक अरब जनता निराशा में डूब गई।

क्रिकेटरों को लोगों ने सिर आंखों पर बिठाया, उनकी पूजा तक की, लेकिन वो क्रिकेट के भगवान नहीं बन सके। भाई लोग ऐसे खेले, जसे कोई अपनी प्रेमिका के पास जल्दी पहुंचने के चक्कर में जरूरी कामों को भी ताक पर रख दे। जसे स्वदेश लौटने की कोई जल्दी रही हो। कूल-कूल माही थे तो ठंडी जगह पर, लेकिन इस बार उन्हें गुस्सा आ गया। गुस्सा इसलिए आया, क्योंकि लोगों ने उनसे ऐसे सवाल दागे, जिसका जवाब उनके पास था ही नहीं, लिहाजा वो खूब भड़के। बिलकुल उस नवाब की तरह, जिसके हुक्म की तामील हो तो बल्ले-बल्ले और अगर किसी ने वाजिब बात कर दी तो ठीक नहीं।

धोनी ने टीम को आसमान पर पहुंचाया, कोई दो राय नहीं, सफलता का क्रेडिट मिला भी, लेकिन टीम को नाकामी की ओर धकेलने के लिए भी वो ही जिम्मेदार हैं। कहते हैं अति आत्मविश्वास भी बुरी होती है। धोनी एंड कंपनी इन फलसफों को भी दरकिनार कर चुके थे। इंग्लैंड पहुंचकर प्रैक्टिस करना भी जरूरी नहीं समझा। करते भी कैसे आइपीएल में इतनी ज्यादा कर ली थी कि और करते तो थकान लग जाती। वैसे भी साहब बिपाशा बसु के साथ शूटिंग में व्यस्त रहे। हांगकांग जाकर शूटिंग करना और चेहरे पर कलाकारों की तरह एक्सप्रेशन देना मामूली बात थोड़े ही है। घर आइए, स्वागत है, कई कंपनी वाले आपका इंतजार कर रहे होंगे, उनकी भी शूटिंग जो निपटानी है। विश्व कप का क्या, फिर आएगा, अगेन ट्राई।
धर्मेद्र केशरी

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