Friday, March 20, 2009

स्लमडॉग की दहाड़

एक जुमला हमेशा सुनने को मिलता है कि ‘हर कुत्ते का दिन बदलता है।अभी तक तो ये सुन रखा था, अब साक्षात देख भी रहा हूं। सच में कुत्ते का दिन बदलता है, वो भी गली के खुजलीवाले कुत्ते का। अब तो आप से भी नहीं कह सकते कि फेंक रहा है। जमाना ही स्लमडॉग का है। स्लमडॉग ने गली के कुत्तों में नया जोश भर दिया है। गाड़ी में घूम रहे, ऐशो आराम में रह रहे कुत्तों को जब गली के कुत्ते देखते हैं तो भौंककर ये जताने की कोशिश करते हैं कि ‘लो हम तो ऑस्कर तक पहुंच गए, तुमने कोई तीर मारा है।

मैं ठहरा कुत्तों से डरने वाला। रात को अपनी गली से गुजरते हुए घर को जा रहा था। मुङो देखते ही एक कुत्ता जोर से भौंका। एहतियातन मैंने एक पत्थर उठा लिया। सोचा कि कुत्ता डरकर भाग जाएगा। मेरे हाथ में पत्थर देखकर कुत्ता बोला-ओए, मारना मत, अब हम वो वाले कुत्ते नहीं रह गए हैं। हमें सम्मान की नजर से देखा जाने लगा है, देखा नहीं ऑस्कर जीतकर आए हैं। मैंने कहा- कहां सम्मान की नजर से देखा जाने लगा? अपने यहां या वहां, जिन्होंने ऑस्कर दिया है? कुत्ता चुप रहने वाला नहीं था, बोला- सभी जगह, तुम्हें तो खुश होना चाहिए कि अब पूरी दुनिया में स्लमडॉग का सिक्का चल गया है।

लोग हमें नए नाम से जानने लगे हैं। मैंने समझाने की गरज से कहा- ठीक है, नाम कमा लिया, लेकिन इतना जरूर सोच लो कि कहा तो तुम्हें कुत्ता ही जा रहा है। मेरा इतना कहना था कि कुत्ता मरे ऊपर झपटने के लिए तैयार, मैं जान बचाकर वहां से भागा। मेरी छोड़िए, अपने धर्मेद्र पाजी का हाल तो और भी बुरा है। अब उनके लोकप्रिय डायलॉग ‘कुत्ते, मैं तेरा खून पी जाऊंगाज् पर उंगलिया उठने लगी हैं। सालों से कुत्तों का खून पीने की बात हो रही है इससे कुत्तों की एशोसिएशन सरकार से मदद मांगने वाली है कि वो ‘स्लमडॉगज् की मदद करें। कुत्ते तो एक शिकायत मेनका गांधी के ऑफिस में भी देने वाले हैं ताकि उनकी फरियाद सुनी जा सके।

उन्हें विश्वास है कि भले ही मेनका जी ने अभी तक उनकी दुर्दशा पर ध्यान न दिया हो, लेकिन अब जरूर देंगी। मुंबई के कुत्तों को अपनी बात रखने का मौका मिल गया है, उनकी एक टीम बीमएसी से फरियाद कर रही है कि उन्हें न मारा जाए, क्योंकि वो ‘स्लमडॉगज् हैं। जब वो इस देश से स्लम नहीं खत्म कर पा रहे हैं तो ‘स्लमडॉगज् खत्म करने का भी हक नहीं है। बहाना कोई भी है, ‘स्लमडॉगज् के दिन तो बहुरे।

धर्मेद्र केशरी

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