Friday, July 10, 2009

विश्वास के साथ विश्वासघात

एक कहावत है, ‘जहां विश्वास होता है, वहीं विश्वासघात होता है।ज् क्या करें भाई, विश्वास करते-करते विश्वासघात सहने की भी आदत पड़ गई है। सिर्फ मुङो ही नहीं, परे देश की बात है साब। विश्वास का बिकना बुरा तो लगता है, लेकिन कर भी क्या सकते हैं, सिवाय विश्वास को बाजार में बिकते हुए देखकर। कुछ दिन पहले ही मैंने एक नया मोबाइल खरीदा। लेने कुछ और गया था, लेकिन दुकानदार ने मेरा ऐसा हृदय परिवर्तन किया कि उसके कहे के मुताबिक किसी और कंपनी का मोबाइल मैंने खरीद लिया।

बंदे ने कहा, विश्वास कीजिए, बहुत अच्छा है और अगर अच्छा नहीं हुआ या कोई परेशानी हुई तो विश्वास करिए मैं आपकी सेवा में तो हाजिर हूं ही। मैंने भी नोट निकाले और दुकानदार के हवाले कर दिया। घर जाकर देखा तो मुएं नए मोबाइल में एक कमी थी। मध्य वर्ग वालों का हाल तो आप जानते ही हैं, कोई चीज लेने से पहले दस बार सोचते हैं, लेते भी हैं ठोक बजाकर। मजबूरी भी है कि एक सामान के लिए दस बार पैसे तो खर्च नहीं कर सकते। कुछ कम ज्यादा हुआ नहीं कि बिगड़ गया घर का बजट।

खर, मैंने सोचा दुकानदार ने विश्वास के साथ मोबाइल बेचा है, चलकर वापस कर देते हैं। पहुंच गया दुकानदार के पास। पहले तो उसे पहचाना नहीं, जब मैंने उसे बताया कि मैं वही ग्राहक हूं, जिसको आपने पूरे विश्वास से मोबाइल बेचा है। रसीद दिखाने पर तो वो माना। समस्या बताते ही वो मुझपर बरस पड़ा। बोला- पहले रसीद तो पढ़ लो, बिका माल वापस नहीं होता है और कोई भी गारंटी कंपनी की होती है, मेरी नहीं। मैं भौचक्का खड़ा उसका मुंह ताकने लगा। मैंने कहा- पर आपने तो इस मोबाइल को विश्वास के साथ बेचा था। दुकानदार झट से बोल पड़ा- ठीक है, फिर मोबाइल के साथ विश्वास भी वापस कीजिए। मैंने कहा- अरे भाई, विश्वास किया जाता है, वापस कैसे कर सकता हूं। मैं समझ गया कि दुकानदार नोट गिनने के बाद विश्वास भरी बातों को अर्थी पर बैठा चुका है। मुङो ज्यादा झटका नहीं लगा, क्योंकि विश्वास के साथ विश्वासघात वाली कहावत सुन-सुन के दिमाग ऐसे वार ङोलने के लिए तैयार हो चुका है।

महज ये एक दुकानदार की कहानी नहीं है, आज का इंसान ऐसा ही हो चुका है। विश्वास को बेचने में सबसे तेज होते हैं खद्दरधारी। व्यापारी तो कुछ न कुछ देते हुए विश्वास का सौदा करते हैं, लेकिन ये लोग विश्वास के नाम का ही खाते हैं। चुनाव के पहले विश्वास करने की बात करते हैं, बाद में विश्वास में प्रयोग अक्षरों को भी भूल जाते हैं।

धर्मेद्र केशरी

1 comment:

  1. mana k dr se pdha pr bhut accha lga, aise hi likhte rho,god bless u

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