Friday, July 17, 2009

किया इश्क ने निकम्मा

किसी शायर की कलाम सुनते हैं तो बड़ा अच्छा लगता है। शायर बेचारा पूरा दर्द उड़ेल कर शायरी करता है। दरअसल, वो अपनी दर्दभरी कहानी को ही कागज पर उतारता है। अधिकतर प्यार में चोट खाए बंदे ही कवि या शायर बनते हैं। पहले ऐसे शायरों के बारे में हंसी-मजाक कर देता था, लेकिन सच है साहब इश्क निकम्मा कर ही देता है। मुआं प्यार शब्द ही ऐसा है कि बड़े-बड़ों को फांस लेता है। पहले तो आप सोचते हैं कि आप जिसे अपनी प्रेयसी बनाने जा रहे हैं, वो दुनिया की सबसे हसीन लड़की है, होती भी है, लेकिन जब वादों का एक दौर पूरा होता है तो इसे भी लू लगने लगती है, फिर इश्क का बुखार उतरता है। तब तक तो स्थिति न उगलने वाली और न निगलने वाली हो जाती है। जालिम इश्क बड़े-बड़ों को शायर बना ही देता है।

मोहतरमा के प्यार में पड़े तो भी शायरी करेंगे और खुदा न खास्ता रिश्तों में तल्खी आ गई तो शायरी गारंटीड है। प्यार की पगडंडी से उतरे बंदों से पूछिए, दाढ़ी-मूछें बढ़ाकर साधुबाबा तक बनने को तैयार हैं कि सिर्फ एक बार उनकी नजर पड़ जाए और वो बंदे का दर्द समझ लें। कइयों ने तो दर्दीले शायरी की किताब भी लिख रखी है कि वो बस एक बार नजरें इनायत कर लें, लेकिन वो हैं कि फोन सायलेंट मोड पर तकिए के नीचे रखकर सो जाती हैं। करो फोन कितना करोगे, पहले तो मम्मी-पापा पास खड़े मिलेंगे, हरदम, कभी नींद आती रहेगी, कभी मूड खराब होगा।

ज्यादा परेशान करोगे तो स्विच ऑफ करना भी आता है, जिद पर अड़े तो नंबर चेंज, बताओ क्या कर लोगे। आखिर प्यार में बलिदान का अपना ही महत्व है, उन्होंने आपका बलिदान किया है आप भी कुछ त्याग कीजिए। वैसे बंदे त्याग करना जानते हैं, कुछ खाना-पीना त्याग देते हैं तो कुछ सोना त्याग देते हैं। जो स्मार्ट टाइप के बंदे होते हैं और सिर्फ उन्हें जताने के लिए शायर बन जाते हैं, वो फिर अगेन ट्राई की राह पकड़ते हैं।

जिनकी मान जाती हैं, वो थोड़ा राहत की सांस लेते हैं, इस डर के साथ कि फिर वो रूठ न जाएं, लेकिन जिनकी नहीं मानतीं उनकी तो हालत मत ही पूछिए। किशोर कुमार और मुकेश के गानों को सुनने के अलावा गुलाम अली और जगजीत सिंह को भी घर ले आते हैं। चचा गालिब भी इन दुखियारों के हमसफर बन जाते हैं। अब तो चचा गालिब की वो शेर ही याद आता है इश्क ने गालिब निकम्मा कर दिया, वरना हम भी आदमी थे काम के।

धर्मेद्र केशरी

3 comments:

  1. भैया आपने किसी दुखी मन की पीडा को बहुत अच्छे ढंग से वर्णन किया है

    मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

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