Saturday, August 5, 2017

कैसे...













भुला दूंगा...भूल तुम भी जाओगे
मगर इस दिल का संभालूं कैसे

बात तो साफ साफ कही थी तुमने
अपना हाल ए दिल समझाउं कैसे

मोहब्बत में कोई शर्त नहीं थी पहले
बंधा वादों में हूं निभाउं कैसे

तेरी बातें ही मेरा मरहम मेरी उम्मीद
तेरे बिन बेमोल हूं बताउं कैसे

मजाक मुहब्बत में गया कबसे बदल
दिल मेरी सुनता नहीं सुनाउं कैसे

पास आकर दूर जाने की ख्वाहिश है तुम्हें
अजीब सी कीमत है चुकाउं कैसे

बता दो तुम्हीे कैसे चाहूं तुम्हें
मुनासिब नहीं दूरी जाउं कैसे...


धर्मेंद्र केशरी





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