Saturday, June 11, 2011

जनता का जनार्दन को जूता आईना

कांग्रेस के मीडिया प्रभारी जनार्दन द्विवेदी सरकार का पक्ष लेकर प्रेस कांफ्रेंस में हाजिर हुए। जनार्दन के चेहरे पर साफ दिख रहा था कि उनकी सरकार इस निरंकुशतो को किस कदर हवा दे रही है। उन्होंने रामलीला मैदान में जो कुछ हुआ, उसे जायज ठहराया। उन्हें और उनकी सरकार को देशवासियों को लाठी मारने का कोई गम नहीं। कोई मलाल नहीं। वहीं सुनील सिंह नाम का एक पत्रकार कवरेज के लिए भी गया हुआ था। उसके जनार्दन के तर्क और उनका बर्ताव रास नहीं आया और उसने जनार्दन का जूता दिखाते हुए ये जताने की कोशिश की कि सरकार यही खाने वाले काम कर रही है।

हिंसा गलत है और किसी को मारना ठीक नहीं, लेकिन अपना विरोध जताना भी बुरा कतई नहीं है। पत्रकार ने जूता दिखाकर अपना विरोध दर्ज कराया है कि उनकी सरकार किस तरह गर्त में जा रही है और आने वाले दिनों में जनता भी ऐसे ही सरकार के नुमाइंदों को जूते मारने वाली है। एक तरह से ये सरकार को आईना दिखाया गया है। हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। ये सरकार हर मोर्चे पर नाकाम रही है। महंगाई कहां से कहां पहुंच गई, पर सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। अभी भी महंगाई दर बढ़ती ही जा रही है। आम आदमी का जीना मुहाल हो गया है, पर मनमोहन सिंह एंड कंपनी के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। दरअसल, एसी में बैठकर सरकारी सुविधाओं के साथ सत्ता सुख लेने वालों को गरीबी और तकलीफ कभी दिखने वाली नहीं। वो आम आदमी के दर्द के कभी महसूस ही नहीं कर सकते।
वैसे भी ये सरकार जनता विरोधी सरकार है। रामलीला मैदान में उनकी दमन नीति यही दर्शाती है कि विरोध करने वाले का मुंह बंद कर दो। यह लोकतंत्र के मुंह पर तमाचा है। जनता के साथ विश्वासघात है। यह सरकार जन लोकपाल बिल का समर्थन नहीं करती। अगर करती तो तिकड़मों का पेंच फंसाए बिना ईमानदारी से प्रस्ताव पास हो जाता। काले धन के मुद्दे पर भी यह सरकार कुछ नहीं कर रही। दरअसल, सबसे ज्यादा शासन देश पर कांग्रेस ने ही किया है और उन्हीं के लोगों ने सबसे ज्यादा सत्ता सुख भोगा है। काले धन पर कांग्रेस के लगातार मुकरने से तो ऐसा ही लगता है कि इनके ही प्रतिनिधियों ने काली कमाई कर विदेशी बैंकों में जमा कर रखा है और पोल खुलने के डर से काले धन पर कोई भी कानून लाने से बच रहे हैं। फिर रामलीला मैदान में सो रही जनता पर अत्याचार कर और उन्हें दुत्कार कर सरकार ने जता दिया कि सरकार से श्रेष्ठ कुछ भी नहीं और जनता निरी बेवकूफ है। उसने सरकार को चुना है। अपनी मर्जी से सत्ता यूपीए के हाथों में दी है और अब वो कुछ भी कर सकते हैं। वो राजा हैं और प्रजा को तोड़े-मरोड़ें या बर्बाद कर दें, कोई उनका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता है। सरकार के कर्म उनकी ऐसी ही मानसिकता को दर्शाते हैं।

ऐसे में उन्हें आईने की जरूरत है। रामलीला मैदान में जलियावाला बाग जसे कांड की पुनरावृत्ति करने की हठी सरकार को ये दिखाने की जरूरत है कि जनता से बड़ी कुछ नहीं हो सकती है। कभी भगत सिंह ने भी अंग्रेजों को नींद से जगाने के लिए ऐसा ही आईना उन्हें भी दिखाया था। बुश को भी मुंतजर ने जूता रूपी आईना दिखाया था और जनरैल सिंह ने चिदंबरम को। जनार्दन द्विवेदी और उनकी सरकार को भी ऐसे ही आईने की सख्त जरूरत थी। अभी तो ये आगाज है। अभी जनता भी जूते मारने शुरू करेगी और सबसे पहले उसका शिकार बनेंगे दिग्विजय सिंह, क्योंकि दिग्विजय सिंह भी इस समय उलूल-जूलूल बयान देने में आगे हैं। जिस दिन पानी सिर पर से ऊपर हो जाएगा, उन्हें भी प्रसाद मिल सकता है। सरकार को चेतने की आवश्यकता है नहीं तो उसका हाल भी पश्चिम बंगाल में माकपा जसा होना तय है। जनता उखाड़ फेकेंगी। कहते हैं विनाशकाले विपरीतबुद्धि..ओर ये सरकार उसी राह पर चल रही है। अगर इस सरकार को सद्बुद्धि नहीं आई तो एक दिन पूरा देश ही सड़क पर निकल आएगा। फिर यहां का हर चौराहा तहरीर चौक में तब्दील हो जाएगा।
धर्मेद्र केशरी


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