Saturday, June 4, 2011

थके बूढों की नाकाम नपुंसक सरकार रात में ही जुल्म ढा सकती है

रामलीला  मैदान से रामदेव को दिल्ली  की पुलिस ने अगवा कर लिया और देर रात धावा बोलकर सो रहे भारतवासियों को लाठियों के जोर पर खदेड़ दिया गया.महिलाओ को भी जमकर पीटा.हजारो लोगो को इस तरह दुतकार कर भगाया जैसे की वो जानवर हों. मनमोहन सिंह इस देश के प्रधानमंत्री हैं और यही इस देश का दुर्भाग्य है. अब तो उनकी इमानदारी पर भी सवाल खडा होता है की कही विदेशी बैंको में सबसे ज्यादा धन मनमोहन सिंह और उनकी सरकार के थके बूढों का तो नहीं है?

अगर ऐसा नहीं होता तो जो रामलीला मैदान में हो रहा है वो बिलकुल नहीं होता. अब शक नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास होता जा रहा है की कांग्रेस  सरकार के आला अधिकारिओ का ही सबसे ज्यादा धन विदेशी बैंको में जमा है. सवाल तो मनमोहन सिंह से पूछा जाना चाहिए कि उनकी सरकार नपुन्सको जैसा बर्ताव क्यों कर रही है. ये सरकार न सिर्फ नाकाम नहीं  है बल्कि सबसे भ्रष्ट और क्रूर सरकार है. इतनी बेवकूफी भरे कदम उठाने कि सलाह आखिर इस सरकार के किस तिकड़मी बूढ़े ने दी. क्या ये सरकार मानवीयता को भी भूल गयी है. आधी रात को उठाया गया ये कदम जलियावाला बाग की याद दिलाता है. वो अँगरेज़ थे, ये कौन है? ये तो अँगरेज़ नहीं पर ये उनसे भी खतरनाक है. धन के लोभी ये ऐसे भेड़िये हैं जो इंसानों को कच्चा चबा जाना चाहते हैं. रातोरात हजारो लोगो को जानवरों की तरह खदेड़ना और मीडिया की आवाज़ को दबाकर क्या सिध्ध करना चाहती है सरकार? की जनता उन्हें शाबाशी देगी. जनता अब इस थके और नपुंसक सरकार को बख्सने वाली नहीं है.

अन्ना हजारे ने अपने लिए अनशन नहीं रखा था. वो प्रधानमंत्री तक को भी जन लोक पाल के दायरे में इसलिए रखना चाहते है ताकि प्रधानमंत्री भी चोर न बन जाये. पर इस सरकार को न जाने किस बात का खौफ है? बहुत मनमानी कर ली इस सरकार ने. अब बाबा रामदेव को भी मनमोहन एंड कंपनी ने सियासत का शिकार बना डाला. दरअसल उन्होंने बाबा या अन्ना को धोखा नहीं दिया हैं बल्कि ये जनता के गले पर वार किया जा रहा है. काले धन के मुद्दे पर कामजोर, बूढों की जमात वाली सरकार पीछे हट रही है. सिर्फ इसलिए क्योकि उन काले चोरो में उनका भी नाम है. अगर ऐसा नहीं होता तो ऐसी बर्बरता ये सरकार अपनों पर नहीं करते और लाठियां नहीं भांजती. 

सठियाये लोग इस सरकार को चला रहे है. प्रधानमंत्री भी महज कठपुतली बने है, रिमोट कंट्रोल जिसके हाथ में है वो विशुद्ध राजनीति कर रहा है. इमरजेंसी तो हमने नहीं देखा, छोटे थे पर जितना पढ़ा, देखा और जाना है इंदिरा गाँधी भी शरमा रही होगी कि उनकी पार्टी कि रसातल में पहुच गयी है.शर्म आनी चाहिए इस नपुंसक सरकार को. पाप का घड़ा भरेगा तो छलकेगा भी और फूटेगा भी.
धर्मेन्द्र केशरी



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