Monday, August 31, 2009

हाय-हाय मंदी

मंदी, मंदी, मंदी॥तंग आ गया ये शब्द सुनते-सुनते। हर चीज में मंदी ने ऐसी सेंध मारी कि न रोत बनता है और न हंसते। नौकरी तो नौकरी खाने पर भी मंदी ने गाज गिरा दी है। मेरे एक दोस्त हैं, गुमसुम प्रसाद। हमेशा अपनी नौकरी के बारे में अंट-शंट बका करते थे। तेवर ऐसे कि अब छोड़ा, तब छोड़ा। तभी मंदी की महा राक्षसी ने अटैक कर दिया। घर जाता हूं तो घर पर ही नहीं मिलते। एक दिन मैंने उनका इंतजार किया।

आधी रात के बाद बेचारे थके-हारे आए। मैंने मजाकिया अंदाज में पूछा- क्या हाल बना रखा है, कुछ लेते क्यों नहीं। मेरा इतना कहना था कि साहब भड़क गए- बोले, यार कटे पर नमक न छिड़को। मैंने पूछा- क्या हुआ भाई, क्यों इतने परेशान लग रहे हो।
गुमसुम बोला- अरे यार नौकरी न हो गई, जी का जंजाल बन गई है। मंदी ने ऐसी मार लगाई है कि दस आदमियों का काम अकेले करना पड़ रहा है। मुआ इंसान नहीं, बैल बन गए हैं। मैंने छेड़ा- तो छोड़ क्यों नहीं देते, तुम्हारे लिए तो तमाम रास्ते हैं। वो बोला- कहां यार, डर लगता है अब गई कि तब गई। कहीं कुछ सूझता भी नहीं। इतना करने के बाद भी दिल के कोने में डर बैठा ही रहता है। यार कब जाएगी ये मंदी।

मैंने कहा- मंदी-वंदी का कोई चक्कर नहीं है यार, हालात ठीक हो चुके हैं, लेकिन कंपनियों को तो मौका मिल गया है। आप रास आए नहीं कि निकाल बाहर किया, कह दिया कि मंदी है, कंपनी घाटे में चल रही है। आप कुछ कर भी नहीं सकते, सरकार ने जब हाथ खड़े कर रखे हैं तो इनका कहना ही क्या। वैसे भी प्राइवेट सेक्टरों में मंदी का अटैक कुछ ज्यादा ही है। सच कहूं तो लोगों को बाहर निकालने का कंपनियों को अच्छा बहाना मिल गया है। यार, काश ये मंदी भट्राचार में आ जाती। खद्दरधारियों को मंदी का शिकार होना पड़ता, तो देश की कुछ स्थिति भी सुधरती। रिश्वत और सुविधा शुल्क पर मंदी की मार पड़ती तो बात कुछ हजम भी होती। ऐसे में तो लोग और भी बेरोजगार होंगे, बेरोजगारी से अपराध बढ़ने का भी तो खतरा रहता है।

कंपनियां मंदी के नाम पर छंटनी करने को आमादा रहती हैं, अपने नुकसान को पूरे स्टाफ के सामने बयां करते हैं, लेकिन फायदे पर कोई मीटिंग नहीं करते। ये नहीं कहते कि लो, बढ़ गई सैलरी, मुनाफा हुआ है। अब तो शुक्राचार्य के पास जाकर महा राक्षसी मंदी को मनाने का मंत्र पूछना पड़ेगा। चल प्यारे, जा के सो जा सुबह पांच बजे की शिफ्ट है तेरी।
धर्मेद्र केशरी

1 comment:

  1. article kafi accha hai ya you kh lo k bs sach byan kiya hai, khyal rhe k is mandi ka asar khi tmhare article pr na pd jaye,

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