Monday, August 31, 2009

यूं हुआ सच का सामना

इस सच का सामना ने तो घर की महिलाओं को भी बिगाड़ दिया है। महिलाएं ही क्या गर्लफ्रेंड्स पर भी इस शो का गहरा असर पड़ रहा है। मुएं कितने रिश्ते तोड़ चुका है ये शो, इसे खुद भी नहीं पता। एक बार मेरा भी सामना हो गया सच से। मेरी मैडम अर्थात मेरी गर्लफ्रेंड पर पता नहीं क्या फितूर सवार हो गया। उन्होंने बड़े प्यार से कहा, चलो कोई रियलिटी शो वाला गेम खेलते हैं। मैंने सोचा, आज ये गेम की बातें हो रही हैं, कहीं मैं किसी गेम में तो नहीं फंसने वाला! फिर सोचा कुछ-कुछ होता है फिल्म में नीलम शो टाइप वाला कोई गेम खेलेंगी, मैंने हां कर दिया।

मेरे हां भर की देर थी कि वो लेडी राजीव खंडेलवाल बन गईं। शुरू हो गया लाइव सच का सामना। एक गलत जवाब खेल खत्म। मैं हैरान, हक्का-बक्का, पर कुछ कर भी नहीं सकता था। डर भी सताने लगा कि आखिर ये हो क्या रहा है। गेम में फंस गया था, गेम तो खेलना ही पड़ता। अब मैडम पॉलिग्राफी टेस्ट तो कर नहीं सकती थीं, लिहाजा मुङो कसम दे दी कि जिससे सबसे ज्यादा प्यार करता हूं, उसकी कसम खाकर सच-सच जवाब दूं। मैंने कहा, मैं तो तुमसे सबसे ज्यादा प्यार करता हूं। इस पर उन्होंने भौंहें चढ़ा लीं और बोलीं- मेरी नहीं, अपनी मम्मी-वम्मी की कसम खाओ। मरता क्या न करता। खाना

शुरू हो गया सच का सामना। उनका पहला सवाल- मेरे अलावा तुम्हारी कितनी गर्लफ्रेंड हैं? मैंने कहा- सिर्फ तुम ही हो, इस पर वो बोलीं- कहा ना एक गलत जवाब और खेल खत्म। फिर भी मैंने वही जवाब दिया, क्योंकि फिलहाल तो वही हैं। इस जवाब में तो पास कर दिया गया। दूसरा सवाल आने से पहले- अब सवाल और भी निजी होते जाएंगे, इसलिए सोच-समझकर खेलिएगा। सच कहूं तो एकदम डर-सा गया, क्योंकि उनका रूप देखकर लग रहा था कि वो सवाल पूछने या गेम खेलने की नहीं, बल्कि कुछ और ही सोच कर आई हों। खर, मैंने तो जवाब देना ही था। उन्होंने पूछा-क्या आपने कभी मुझसे झूठ बोला है। भई, झूठ तो कई बार बोला है, लेकिन किसी ऐसे-वैसे मकसद से नहीं, साफ नीयत से, लिहाजा बोल दिया कि हां, झूठ बोला है। यहीं फंस गया, वो गेम तो भूल गईं, मुझ पर पिल पड़ीं। बड़ा मनाया, नहीं मानीं और आखिरकार पैर पटकते हुए घर की ओर रवाना हो गईं।

बाद में मैंने पूछा ये आइडिया तुम्हें आया कहां से, तो जवाब आया- वो कल रात मैं सच का सामना देख रही थी ना, इसलिए सोचा तुमसे खेल लेती हूं। भई, इस सच का सामना ने किसे-किसे दर्द दिया ये तो मुङो नहीं पता, पर मुङो बड़ा परेशान किया इस सच का सामना ने।
धर्मेद्र केशरी

1 comment: