Wednesday, November 6, 2019

आरक्षण की रेवड़ी पाने का फॉर्मूला



29-5-2008
धर्मेंद्र केशरी
मुद्दा गरमाया है। जिसे जिसे बहती गंगा में हाथ धोना हो जल्दी करें। राजस्थान के गुर्जर समुदाय से सबक लें और फटाफट आन्दोलन शुरू कर दें। यही सही मौका है सरकार से अपनी बात मनवाने का। कहें कि हमारी जाति पिछड़ी है और केवल आरक्षण ही हमारा उद्धार कर सकती है। उन लोगों के लिए तो बड़ा ही मुफीद समय है जो लोगों के रहनुमा बनकर अपना भविष्य सुधारने की मंशा रखते हैं। हिम्मत दिखाइए और बैंसला साहब की तरह जाति के उद्धार आन्दोलन के नायक बन जाइए।
बात मनवाने का तरीका बेहद आसान है। ट्रेन रोकिए, वाहनों को जलाइए, जगह-जगह तोड़ फोड़ तो बेहद जरूरी है। बस चक्काजाम ही कर दीजिए। न इधर का बंदा उधर जा सके और उधर का इधर आने का साहस दिखाए। सरकार का पुतला वुतला जलाइए, सभाएं कीजिए। व्यवसाय अपना भी बंद कर दूसरों को भी न करने दें। उत्पात तो ऐसा मचाइएगा कि दस-बीस भगवान के द्वार जरूर पहुंचें। जब तक कफर्यू ना लगे, बवाल, बवाल नहीं लगता है इसलिए हिंसा की हद तक हिंसा करना जरूरी है।
नाक में बिल्कुल दम करने की प्रतिज्ञा होनी चाहिए। फिर देखिए कौन ऐसा हिम्मती खादीधारी है जो आपकी बातों को नज़रअंदाज़ करने की हिराकत कर सके। सोचना सही है आपका। जातिवाद का मुद्दा ऐसा है, जब चाहेंगे कैश करवा लेंगे। और हां सरकार पर परफेक्ट दबाव बनाना है तो सरकार के विपक्षी दलों के महापुरूषों को पकड़ें। वो आग में घी डालने का काम तो करेंगे ही साथ ही साथ अपनी पापुलरिटी के लिए आप के साथ जरूर खड़े रहेंगे। वो अलग बात है कि आग लगाकर तमाशा देखने इनकी फितरत है। किसी भी चीज का अनुभव ज़रूरी है। राजस्थान के गुर्जर समुदाय पर फोकस करें कि आखिर किस बारीकी से ये अपनी बात मनवाने की कला को अपना रहें हैं।
प्रैक्टिकल करना तो अति आवश्यक है तो हूज़ूर आरक्षण की चाह को मन में मत दबाइए। इस गुबार को निकलने दीजिए। अगर आपको लगता हैकि आरक्षण ही सफलता की सीढ़ी है तो इस सीढ़ी पर चढ़िए, क्योंकि अब आपका विश्वास पढ़ाई लिखाई या प्रतिभा पर नहीं आरक्षण पर आ टिका है। महानुभावों, राजस्थान के गुर्जरों का बवाल देखो, उठो और आरक्षण की मांग करो। डरो नहीं कि सरकार कितनी जातियों को आरक्षण देगी। बस पक्का इरादा करके उतरो। सरकार को अगर आपमें जबरदस्त फायदा नज़र आया तो मिल सकता है आरक्षण। वैसे अगर अभी नहीं आन्दोलन छेड़ सकते तो चाहे जब छेड़ देना। इस देश की उपज हो अपनी मर्जी के मालिक भी। आरक्षण की रेवड़ी बंटेगी ज़रूर। बस लगे रहो।
धर्मेंद्र केशरी

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