Saturday, March 27, 2010

एक प्यार का खत

सच कहते हैं कि लोग प्यार अपने नाम की तरह अधूरा है। अगर अधूरा है तो लाग क्यों करते हैं प्यार। क्यों फंस जाते हैं ऐसे चक्रव्यूह में, जिससे मौत के बाद ही निकला जा सकता है। जब कोई आपकी जिंदगी में सब कुछ बनकर आता है, जब कोई आपके सपनों को पंख लगा देता है, जब कोई आपकी हर सांस में समा जाता है, तो वही शख्स आपसे दूर क्यों चला जाता है? कुछ बातों को जवाब इंसान को खुद ढ़ूढ़ना पड़ता है, पर सवाल ही करने वाला सवाल न करे, तो क्या? दुनिया हसीन बनाने के बाद बीच मझधर में छोड़ने को तो प्यार नहीं कह सकते। महज कुछ गलतियों पर दिल का रिश्ता तोड़ देना कहां तक ठीक है?

ये वो सवाल हैं, जिनका जवाब जिसके पास है, वो देना नहीं चाहता और इन सवालों को मैं उनसे करना नहीं चाहता। सिर्फ इसलिए, क्योंकि उनके हर फैसले पर उनका साथ देने का वादा किया है, फिर इस वादे को कैसे तोड़ सकता हूं। हमेशा से यही चाहत थी और आज भी यही है कि उन्हें दुनिया की हर खुशी नसीब हो, वो सब कुछ मिले, जो उन्होंने अधूरे मन से भी चाहा हो। कहते हैं कि प्यार जताने की चीज नहीं, वो तो महसूस करने की चीज है।

फिर उन्हें क्यों नहीं महसूस होता ये दर्द, ये प्यार, जो सिर्फ उनके लिए ही है। उन्हें लगता होगा कि सब खेल था, वक्त सब ठीक कर देगा। दरअसल, वक्त नहीं ठीक करता, ये आंसू सूख जाते हैं, जब बहते नहीं, तो लोगों को गलतफहमी हो जाती है कि वक्त ठीक कर देता है। इस गलतफहमी ने न जाने कितनों को बर्बाद कर डाला।

खर, किसी का प्यार पूरा हो जाता है, किसी का अधूरा। हम अधूरे वालों की फेहरिस्त में शामिल हैं। हां, दिल से यही दुआ है कि शायद कभी उन्हें प्यार हो तो वो पूरा हो, वो इस दर्द से दूर ही रहें। यही ईश्वर से हमेशा प्रार्थना रहेगी। वो आगे बढ़ें और खुशियां हर कदम पर उनके साथ ही रहें।

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