Monday, December 16, 2013

दूध के धुले लालू यादव!

माननीय लालू यादव आज रिहा हो गए। रिहा होते ही उन्होंने अपनी वाणी की धार भी दिखानी शुरू कर दी। अब लालू जी हैं कुछ न कुछ तो बोलेंगे ही। बोलिए लालू जी खूब बोलिए, लेकिन जनता ने सोचा बिरसा मुंडा जेल में कुछ वक्त काट के आए होंगे तो आपने बिरसा मुंडा को भी याद किया होगा। वही विरसा मुंडा जिन्होंने आदिवासियों के हक की लड़ाई लड़ी, लड़ाई तो आपने भी लड़ी। जननायक भी बने, लेकिन सब को साथ लेकर चलने के बजाय आपने शुरू कर दी जाति की राजनीति, संमुदाय विशेष की राजनीति। आपका कद भी बढा, पद भी और पेट भी फिर जीभ कुछ ऐसी लपलपाई कि सत्ता की मलाई से पेट नहीं भरा तो खा गए जानवरों का चारा।
हो न हो आपको उन भैंसों की बद्दुआ जरूर लगी होगी लालूजी जिनके हिस्से का चारा आप खा गए और डकार भी नहीं मारी। अब आपका गुस्सा फूट रहा है, सीबीआई के खिलाफ जनलोकपाल के खिलाफ। चलिए सीबीआई की भूमिका आपके आधार पर मान लेते हैं सियासी साजिश का हिस्सा बन गए हैं आप,एक बार ये भी मान लेते हैं कि आपने कोई चारा—वारा नहीं खाया कोई घोटाला नहीं किया।
आपसे साफ सुथरा, दूध का धुला इस राजनीति के अखाड़े में कोई है ही नहीं, फिर जनलोकपाल को लेकर थूंथन क्यों फूलने लगे हैं,मुट्ठियां भींच ली है कि अगर अकेले में कोई अन्ना अरविंद मिल जाए तो उसे कतई नहीं छोड़ने वाले आप। आप को डर किस बात का है। ख्वाहमख्वाह डर रहे हैं आप। आप कोई घोटाजेबाज हैं, कोई भ्रष्टाचारी हैं जो जनलोकपाल से डर गए।
अरे इस बिल का नाम ही जनलोकपाल है, जाहिर सी बात है कि इसमें जनता की बात है और आप भी जनता के ही हैं जनता के द्वारा, तो फिर पसीने क्यों छूट रहे हैं। लालू जी डर तो उन्हें लगना चाहिए, जिन्होंने जनता का पैसा खाया हो, स्विस बैंकों में एकाउंट खुलवा रखा हो। खैर आप डरिए नहीं आरोप तो लगते रहते हैं और आरोप लगना तो आप जैसे बड़े नेता के लिए आम सी बात है। रही बात आपके सजायाफ्ता होने की तो इसमें भी कोर्ट से ही चूक हुई होगी आप थोड़े न दोषी हैं और मान लीजिए जेल जाना ही पड़े तो आप कह ही रहे हैं कि जेल श्रीकृष्ण जी की जन्मभूमि है और आप जेल जाने से डरते नहीं। फिर दिक्कत किस बात ​की है। लालूजी जनता जनार्दन थोडत्री समझदार हो चुकी है आप भी बुजुर्ग। सच को सच मानने से इंसान का कद बढ़ता ही है। बाकी आपकी मर्जी।

धर्मेंद्र केशरी

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