हमारे देश के प्रधानमंत्री इतने शांत और सौम्य हैं कि वो जहां भी जाते हैं लोग उनके सामने मुख्य मुद्दों को भूलकर उनकी सादगी और सौम्यता की मिसाल देने लगते हैं। कुछ दिन पहले ही वो ओबामा से मिले थे। ओबामा उनके विराट स्वरूप में इस कदर फंसे कि पाकिस्तान और डेविड हेडली की बात करना ही भूल गए। ओबामा ने कहा कि जब सिंह साहब बोलते हैं तो पूरी दुनिया उनकी बात सुनती है। माननीय प्रधानमंत्री भी उनकी बातों में ऐसे डूबे कि उन्होंने एक बार ये नहीं पूछा कि भई, आतंकवाद मुद्दे पर आप क्या कहना चाहते हैं या मुंबई हमले के आरोपी को आप भारत के सुपुर्द क्यों नहीं करते।
न जाने क्यों मुङो अपने बचपन के दिन याद आ जाते हैं। मेरी एक टीचर मैडम थीं। मैं उनकी बात बहुत मानता था। मानता क्या था। उनके इशारों पर ही कदम बढ़ाता था। उन्होंने कह दिया आगे बढ़ो, तो बढ़ गया, उन्होंने कहा कि चुपचाप बैठे रहो, तो अच्छे बच्चे की तरह चुपचाप बैठा रहता था। वैसे मैडम थीं बड़ी अच्छी, उन्होंने ही मुङो स्कूल का मॉनिटर बनवाया था। उस एहसान को मैं भूल तो सकता नहीं था, इसलिए जो मैडम की मर्जी होती थी, वो मेरी मर्जी। कई बार मेरे दोस्तों ने ये कहा कि तू तो मैडम की कठपुतली हो गया है, पर अब उन्हें मैं ये कैसे समझाता कि सारा दान-दक्षिणा तो मैडम का ही है।
उन दिनों मैं अपने दोस्तों को तर्क दिया करता था कि जब चौदह वर्ष तक राम जी का खड़ाऊ राज कर सकता है तो मैं तो जीता-जागता इंसान हूं। मैं भी मैडम की खड़ाऊ लेकर ही राज कर सकता हूं। इसके बड़े फायदे होते थे। फालतू दिमाग नहीं खर्च करना पड़ता था। जो सोचना था मैडम को सोचना था। दिमाग पर जरा भी भार पड़ता नहीं था और मैं स्वस्थ्य, चैतन्य। पर अब ये महसूस होता है कि मॉनिटर होने के नाते मुङो कुछ काम खुद भी करने चाहिए थे, मैडम की बातों को मानने के अलावा। इस देश पर जब खड़ाऊ ने राज किया तब किया, अब उन खड़ाऊओं में कोई जान नहीं।
वैसे कठपुतली मैं पहले भी था। अब भी हूं। मैं क्या, पूरा देश है। तिगनी नाच नाच रहे हैं सब, पर कोई कुछ कह नहीं पाता। टैक्सों का इतना भार लाद दिया गया है निरीह जनता पर कि वो दिन ब दिन उसके नीचे ही दबता जा रहा है। ऊपर से नीचे तक सभी कठपुतली हैं। कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि ये कठपुतलियों का देश है। खर, ज्यादा कुछ नहीं कहना। ओबामा आने वाले हैं इंडिया, समोसा खाकर और लस्सी पीकर उसका गुणगान करके चले जाएंगे और हम उन्हें कठपुतलियों की तरह आत्ममुग्ध होकर बस देखते रहेंगे।
धर्मेद्र केशरी
nice one keep it up.........
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