चिरकुट प्रसाद की मंगेतर 21 दिनों से नाराज थी। चिरकुट की जान उसके हलक में फंसी थी कि अब होगा क्या। जानता तो था कि मंगेतर को मना लेगा, पर कैसे समझ में नहीं आया। बड़ी मिन्नतें कीं, कसम से अभी तो मंगेतर है बीवी बनेगी तो चिरकुट का फालूदा बना देगी और चिरकुट भाई फालूदा बनने के लिए तैयार भी थे, खैर ये उनका निजी मामला ठहरा। बीस दिन के बाद चिरकुट प्रसाद की मंगेतर मिस छनछनी चिरकुट की फरियाद सुनने के लिए तैयार हो गईं।
मिस छनछनी के सामने चिरकुट प्रसाद रोए जा रहे थे रोए जा रहे थे। तभी मिस छनछनी ने कहा कि ये प्याज के आंसू रोना बंद कर काम की बात करो। इसी झटके में चिरकुट कह बैठा कि उसने तो 20 दिन से प्याज खाया तक नहीं है। फंस गया लौंडा। जो अपनी होने वाली बीवी को प्याज तक नहीं खिला सकता वो उसकी डिमांड क्या खाक पूरी करेगा। मिस छनछनी ने उसे ऊपर से नीचे तक घूर कर देखा और शर्त रख दी कि जब प्याज का रेट कम हो जाएगा तब वो मानेगी।
चिरकुट प्रसाद के दिल को सुकून मिला कि चलो प्याज के सस्ता होने पर बात बन जाएगी, पर प्याज ने भी जैसे मिस छनछनी से कोई डील कर ली हो। 40 रुपए किलो प्याज 80 में बिकने लगा। दसियों दिन बीत गए, प्याज के नखरे कम होने का नाम ही नहीं ले रहे थे। चिरकुट अजीब मुसीबत में फंस गया। न प्याज के रेट कम हो रहे थे और न ही मिस छनछनी मान रही थीं। चिरकुट को सरकार के मंत्री की बात याद आ गई वो तो कह रहे थे प्याज का पूरा भंडार भरा है, कोई दिक्कत नहीं होगी। धैर्य धारण किया कि चलो दो चार दिन में मामला सेट हो जाएगा।
अब प्याज भी चिरकुट को मिस छनछनी जैसे ही दिखने लगा। मिस छनछनी जैसे ही प्याज का भाव भी कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था। धीरे-धीरे डेढ़ महीने बीत गए और प्याज 80 से 120 पहुंच गया। उधर जिम्मेदार सरकार के जिम्मेदार मंत्री भी अपनी बात से पलट गए। साफ कह दिया कि गुरु प्याज पर संकट आन पड़ा है, अपना अपना देख लो। वैसे तो चिरकुट को भी इससे फर्क नहीं पड़ता पर यहां दिल का मामला था। प्याज का दाम कम हो तो प्यार मिले उनको। प्याज सस्ता होने का कोई चारा नजर ही नहीं आ रहा था।
तभी चिरकुट की नजर उस खबर पर पड़ी कि कई साल पहले महंगी प्याज ने एक सरकार गिरा दी थी। ये देखते ही चिरकुट के हाथ-पैर ठंडे होने लगे। बुदबुदाने लगा कि प्याज तेरी महिमा अपरम्पार है, जब प्याज ने एक सराकर गिरा दी थी तो उसका प्यार गिरना तय ही था। चिरकुट ने हाथ जोड़े और मन ही मन प्याज की आराधना की- हे, प्याज देव अपनी भृकुटियां तानना बंद करो। अपने पहले के स्वरूप में आ जाओ। तभी उसके मन में एक बात कौंधी, शायद प्याज देव ने ही कुछ कहा।
चिरकुट हाथ में थैला लिए मिस छनछनी के पास पहुंचा। कॉलबेल बजाई और 10 किलो प्याज वाला थैला मिस छनछनी को देते हुए कहा- मेरी आंखें खुल चुकी हैं, मैं समझ चुका हूं कि प्याज सस्ती हो या नहीं, मुझे अपनी कमाई ही बढ़ानी पड़ेगी। मिस छनछनी के चेहरे पर विजयी मुस्कान आई, जैसे कह रही हों कि आखिरकार तुम्हारे ज्ञान कपाट खुल ही गए। चिरकुट ने भी ठंडी सांस भरी, वो मिस छनछनी के प्याज के रेट कम होने की शर्त के मर्म को समझ चुका था। चिरकुट प्रसाद ने मन ही मन प्याज देव को नमन किया और मिस छनछनी के साथ घर के अंदर चला गया।
धर्मेंद्र केशरी
धर्मेंद्र केशरी