Saturday, October 24, 2009

देशद्रोही

देशद्रोही की परिभाषा क्या होती है। जो देश के हित के खिलाफ हो। जो देशवासियों के दिलोदिगमाग पर विपरीत असर डाले और जिसकी वजह से देश की संस्कृति और अस्मिता पर खतरा पैदा हो। जरूरी नहीं कि सिर्फ आतंकवाद फैलाकर या हिंसा का सहारा लेने वालों को देशद्रोही समझा जाए। वो लोग भी देशद्राहियों की श्रेणी में आते हैं, जो कानून की आड़ में, मनोरंजन के नाम पर देश की अस्मिता को ठेस पहुंचाते हैं। मनोरंजन के नाम पर परोसे जाने वाले कार्यक्रम, जिनमें अश्लीलता कूट-कूट कर भरी हो, भारतीय सभ्यता के हिसाब से वो भी देशद्रोह ही है।

इन दिनों रियलिटी कार्यक्रमों का बोलबाला है। बदलाव की इस बयार का खुले दिल से स्वागत किया जाना चाहिए, पर चैनल मनोरंजन के नाम पर अपना विश्वास खोते जा रहे हैं। पिछले दिनों अमेरिकन कांसेप्ट के हिंदी संस्करण ‘सच का सामनाज् का विरोध इसलिए हुआ, क्योंकि शो को रोचक बनाने के लिए ऐसे सवालों की बौछार की जा रही थी, जो दर्शकों के हित में नहीं था, समाज के हित में नहीं था। इन दिनों ‘बिग बॉसज् भी उसी ढर्रे पर चल रहा है। टीआरपी और कमाई के चक्कर में सामाजिकता और संस्कृति के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। कमाल खान के अलावा शो के अन्य प्रतियोगियों के कई क्रिया कलाप लोगों के गले नहीं उतर रहे हैं। आखिर कौन है देशद्रोही, क्यों दे रहे हैं लोग इन देशद्रोहियों को तवज्जो। नजर डालते हैं कुछ ऐसे ही किरदारों पर।

देशद्रोही नंबर 1-कमाल खान
सच ही कहते हैं लोग कि रुपहले पर्दे की दुनिया सच से कोसों दूर है। कमाल खान उन्हीं लोगों में हैं। पिछले साल इनकी एक फिल्म आई थी ‘देशद्रोहीज्। फिल्म में कमाल साहब ने देशप्रेम और प्यार का पाठ पढ़ाया था। पाठ कम पढ़ाया था, मराठी और गैर मराठी विवाद के सहारे लोकप्रियता के सही समय पर चोट की थी। गरम लोहे पर हथौड़ा मार रहे थे कमाल खान। लोगों की नजर में कमाल सच्चे देशभक्त बनते दिखाई पड़े थे, पर सच्चाई कुछ और ही है। दुनिया को प्यार और अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले कमाल खान का असली रूप सभी ने देख लिया है। अड़ियल, बिगड़ैल, घमंडी और भी न जाने क्या-क्या। ये हमारी राय नहीं, बल्कि कमाल के करतूतों की सच्चाई है। ‘बिग बॉसज् में अपनी ब्रांडिंग के लिए कमाल खान ने मानवीयता को भी ताक पर रख दिया। सभी को पता है कि उन्हें गालियां आती हैं, लेकिन कमाल ने अपनी इस विशेषता को पूरे देश के सामने दिखाया है कि उन्हें कितनी गंदी-गंदी गालियां आती हैं। देशप्रेम का पाठ पढ़ाने वाला ये शख्स भूल गया कि उनके निंदनीय कारनामे देशद्रोह की श्रेणी में आते हैं। अब किस मुंह से ये देशप्रेम की कहानी सुनाएंगे और लोगों को इन पर क्यों यकीन करना चाहिए। कमाल ये भूल गए कि वो अप्रत्यक्ष रूप से सिर्फ अपने बारे में ही नहीं, कइयों की विश्वसनीयता और शख्सियत पर सवाल उठा रहे हैं।

देशद्रोही नंबर 2- कलर्स चैनल
इस चैनल को शुरू हुए एक साल का समय बीता है, लेकिन कम समय में ही ये दर्शकों का चहेता चैनल बन बैठा है। इसकी वजह भी है, इस चैनल पर कई ऐसे सीरियलों का प्रसारण होता है, जो सामाजिक दृष्टि से काबिलेतारीफ है। ‘उतरनज्,‘न आना इस देश लाडोज्,‘बालिका वधूज्,‘भाग्यविधाताज् कुछ ऐसे धारावाहिक हैं, जो आडंबरों और कुरीतियों पर चोट करते हैं। अपने इस प्रयास से चैनल ने लोगों का दिल जीता है, इसमें कोई शक नहीं, पर जिस तरह से ‘बिग बॉस 3ज् में कमाल के आपत्तिजनक बर्ताव का खुलेआम प्रसारण किया गया है, वो चैनल की विश्वसनीयता और इसकी नीयत को भी कठघरे में खड़ा करता है। जब ‘बालिका वधूज् या ‘न आना इस देश लाडोज् का प्रसारण होता है तो ये टीवी की पट्टी पर लिखते रहते हैं कि वो नारियों के खिलाफ होने वाले अत्याचारों का पुरजोर विरोध करते हैं। यहां उनकी पीठ ठोंकनी होगी कि वो स्त्रियों पर होने वाले अत्याचारों का खुलासा कर रहे हैं, पर कमाल खान की गंदी गालियों के प्रसारण को क्या कहा जाए। क्या ये इनकी दोहरी नीति का प्रमाण नहीं है! महज टीआरपी के चक्कर में संस्कृति का खिलवाड़ नहीं हो रहा है। जसा कि सभी जानते हैं कि ये लाइव शो नहीं है, लिहाजा उन गालियों को बीप करने के बजाय हटाया जा सकता था, लेकिन नहीं टीआरपी की अंधी दौड़ में चैनल वालों ने इसे बेचने की पूरी कोशिश की है। चैनल वाले ये खुद देखें कि गालियों को बीप करने के बाद भी वो समझ में आती हैं या नहीं या गंदे इशारों को लोग समझ रहे हैं कि नहीं। चैनल के कर्ता-धर्ताओं को ये अच्छी तरह पता है कि ये गलत है, पर कमाई की पट्टी ने आंखें बंद कर रखीं हैं।

देशद्रोही नंबर 3- बख्तयार ईरानी
वैसे तो बख्तयार ईरानी घर के सदस्यों के लिए लड़ते दिखाई देते हैं। वो न्याय का साथ देना चाहते हैं, पर जब वो तनाज से बात कर रहे होते हैं तो वो क्या संदेश देना चाहते हैं। तब वो शायद ये भूल जाते हैं कि उनके परिवार के साथ-साथ पूरा देश उन्हें देख रहा है। उन गालियों को भी और भद्दे इशारों को भी। सभी को पता है कि गुस्से में हर कोई गालियां देता है, पर सरेआम गालियां देना मानवता और शिष्टता की श्रेणी में नही आता है।

द्रेशद्रोही नंबर 4- बिंदू दारा सिंह
ये भी पूरे उस्ताद हैं। गालियां देने में माहिर। पर एक बात समझ में नहीं आती कि बिंदू महाशय अपने घर में भी गंदी गालियों की बौछार करते हैं। अगर नहीं तो वो बिग बॉस में अपनी इस अदा का प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं। उन्हें तो ये समझना चाहिए कि बिग बॉस सिर्फ उनका घर नहीं है या खेल नहीं है, इसके जरिए करोड़ों लोग उन्हें देख रहे हैं। क्या असर पड़ेगा उन पर।

देशद्रोही नंबर -सरकार
सूचना प्रसारण भी ऐसे हालात के लिए कम जिम्मेदार नहीं है। सरकार अगर चाहे तो ऐसे कार्यक्रमों पर लगाम कसी जा सकती है। पिछले काफी समय से मनोरंजन चैनलों के लिए निगरानी समिति बनाने की बात की जा रही है, पर सरकार यहां भी अपना स्वार्थ देख रही है। वो मनोरंजन चैनलों पर बह रही अश्लीलता को दरकिनार कर मीडिया को अपने हाथों में लेने के लिए ज्यादा प्रयासरत रहती है। सरकार को भी ऐसे कार्यक्रमों पर अंकुश लगाना चाहिए।


देशद्रोही नंबर 6- मीडिया
मीडिया भी संस्कृति पर चोट करने के लिए जिम्मेदार है। मीडिया को लोकतंत्र का चौथा खंभा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि लोगों को मीडिया पर विश्वास है। प्रेस पर यकीन है कि बिना डरे हम लोग सच्चाई लोगों तक पहुंचाएं, पर हो रहा है इसका उल्टा। खासकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया। टीआरपी की अंधी दौड़ में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया भी बेलगाम दौड़ता जा रहा है। जो दिखता है वो बिकता है के मिथक पर टीवी चैनल वाले भी देश की अखंडता पर कम वार नहीं कर रहे हैं। बिग बॉस में प्रसारण के बाद टीवी चैनलों को तो जसे जबरदस्त मसाला मिल गया। वो कमाल खान के बर्ताव को इस तरीके दिखाते रहे, जसे वो नेशनल हीरो हों। क्या ये कमाल को हाइप करना नहीं हुआ। कमाल तो बदनामी से नाम कमाने आए ही थे और वो अपने इस काम में सफल भी हुए।

देशद्रोही नंबर 7- दर्शक
कहते हैं कि अत्याचार करने वाले से अत्याचार सहने वाला ज्यादा दोषी होता है। आखिर दर्शक भी तो ऐसे कार्यक्रमों को मौन सहमति दे रहे हैं। अगर दर्शक एकजुट हो जाएं और विरोध के स्वर तेज करें तो चैनलों की क्या मजाल जो वो अश्लीलता परोसें। ये दर्शकों की सहमति से ही हो रहा है, जो उनके ड्राइंग रूम में उनके परिवार, उनके बच्चों के सामने अश्लील गालियां चल रही हैं।

हम इक्कीसवीं सदी में जी रहे हैं और देश प्रगतिशील से विकसित की श्रेणी में आने को बेताब है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि हम इसकी संस्कृति को ही भुला बैठें। हिंदुस्तान को पूरी दुनिया इसलिए सलाम करती है, क्योंकि यहां की परंपरा अन्य देशों से बिलकुल अलग है। यहां के लोग पश्चिमी सभ्यता का अनुसरण भी भारतीय मूल्यों के हिसाब से ही करते हैं, इसलिए जब कोई यहां की विरासत को ठेस पहुंचाने का प्रयास करता है तो उसे देशद्रोह की संज्ञा दी जाती है।

3 comments:

  1. रियालिटी शो के सामाजिक सरोकारों को लेकर आपका ये आलेख निश्चित रूप से तारीफ के काबिल है...जो देश में अपसंस्कृति का प्रचार-प्रसार कर रहा है वो भी देशद्रोही ही है

    ReplyDelete
  2. वैसे तो इस तरह के कार्यक्रम देखते नही.....लेकिन आप की पोस्ट पढ़ कर अच्छा लगा।बहुत बढिया पोस्ट लिखी है।्धन्यवाद।

    ReplyDelete