Tuesday, January 13, 2009

एक वो नेता, एक ये नेता

चुनाव के समय हमें एक नेताजी बहुत याद आते हैं, जो सही मायनों में नेता थे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस। उनके नाम के आगे नेता शब्द सुशोभित करता है, लेकिन आज के नेता उसी शब्द की कमाई खा रहे हैं। ‘नेतागिरीज् से बेहतर आरामतलबी का पेशा और समृद्धि भरी जिंदगी और कहीं नहीं रह गई है। बेचारे ‘नेताजीज् सुभाष चंद्र बोस ने अपनी जिंदगी देश के निर्माण में झोंक दी, लेकिन हमारे ये नेता अपनी जिंदगी लंगड़ी लगाने और खुराफात में ही बिता देते हैं।

चुनावी समर में एक आधुनिक नेताजी ने तो उनके नारे तक को नहीं बख्शा। सुभाष चंद्र जी ने तो देश की आजादी के लिए लोगों का खून मांगा था, लेकिन इनका कहना है ‘तुम मुङो वोट दो, मैं तुम्हें विकास दूंगा।ज् ये नेता भी कम बेशर्म नहीं होते हैं। हर बार झूठ बोलकर भी पता नहीं किस मुंह से जनता के सामने खींसे बघारे पहुंच जाते हैं। वोट तो हर बार पाते हैं, गद्दी पर पहुंचते ही विकास को टाटा, बाय-बाय कह देते हैं। एक नेताजी ने अपना प्रचार कुछ इस अंदाज में किया है कि- बिजली का मीटर भाग रहा है, बिल लंबे-चौड़े आ रहे हैं। वो साहब सत्ता में आएंगे तो बिजली सस्ते भाव में देंगे। नेताजी के एक चमचे ने उनसे पूछा-सरकार, आपने घोषणा तो कर दी, और मान लो कि हम जीत भी गए, तो ये सब होगा कैसे? नेताजी मुस्कराते हुए बोल- वादों और उनके पूरा होने में जमीन-आसमान का फर्क है। वादे करते रहो, वादों और आश्वासन का पैसा तो लगता नहीं है।

जीत गए तो जनता पांच साल तक कुछ कर नहीं पाएगी। महंगाई का मीटर भाग रहा है तो बिजली का मीटर कहां से रुक जाएगा। ये सब ‘चुनावी लॉलीपॉपज् हैं। जनता को थमा दिया है, अब वो न चाहते हुए भी इसे चूसेंगे। और हमीं कौन सा ये काम कर रहे हैं, आज के दौर में सारे नेता यही कर रहे हैं। वादा पूरा नहीं कर पाए तो दोष किसी और पर मढ़ देंगे। चमचे ने आश्चर्य से पूछा- वो तो ठीक है कि पांच साल कट जाएंगे, लेकिन दोबारा हम जनता के बीच किस मुंह से जाएंगे? इस बात पर नेताजी गुस्सा गए, बोले- इसी मुंह से गधे और किस मुंह से, बेशर्मी हमारी फितरत हो चुकी है, फिर जनता को कौन सा याद रहता है। तब तक नए मुद्दों की धार तेज कर लेंगे, इस बार मीटर और महंगाई कैश करो अगली बार कुछ न कुछ तो मिल ही जाएगा। नेतागिरी की यह दुर्दशा बेचारे नेताजी सुभाष चंद्र बोस को पता होता तो वो कभी अपने नाम के आगे ‘नेताजीज् नहीं लगाते।


धर्मेद्र केशरी

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