Monday, January 12, 2009

शैतानराज का खात्मा

एक समय की बात है। दो राजा थे। एक राजा रामराज्य में विश्वास करता था तो दूसरा रावण की पूजा करता था। सही मायनों में वो रावण की भी नहीं पूजा करता था, बल्कि वो शैतान का पुजारी था। पुजारी भी ऐसा कि गुरू शुक्राचार्य भी पानी मांगते फिरें। जहां राम राज्य था, वहां राजा शासक था, प्रजातंत्र था, उम्मीद थी, खुशहाली थी और लोगों में प्यार था। दूसरे राज्य में ये सब होने ही नहीं पाया, क्योंकि वहां लोकतंत्र के नाम पर सैनिक अपनी मनमानी चलाते थे। वो राज्य रामराज्य की अपेक्षा काफी छोटा था, कद में भी और नीयत में भी। रामराज्य के लोग हमेशा प्रगति की ओर देखते थे, लेकिन शैतान राज्य के लोग उन लोगों के सामने हमेशा परेशानियां ही खड़ी किया करते थे।

शैतान राज्य के सभी लोग तो नहीं, लेकिन कुछ लोग ऐसे थे जो रामराज्य की ओर टेढ़ी नजरों से ही देखा करते थे। वो हमेशा अपने घुसपैठियों को रामराज्य में घुसाते और हिंसा फैलाने की कोशिश किया करते, वो लोगों को लड़ाने के लिए आमादा थे। हर समय कोई ऐसी खुरापात सोचते कि रामराज्य के लोग सकून से नहीं रह सकें। वर्षो से उन्होंने हिंसा का राग ही अलाप रखा था। सबसे बड़ी बात तो यह थी कि वो रामराज्य पर तीन बार आक्रमण कर चुके थे, लेकिन हर बार उन्हें मुंह की खानी पड़ी। हारने पर वो दुम दबाकर ऐसे भागते, जसे घोड़े के पीछे पेट्रोल लगा दिया गया हो।

रामराज्य उसे बिगड़ा बच्चा समझ कर हमेशा माफ करने की भूल करता रहा और पड़ोसी राज्य की हिम्मत बढ़ती रही। दिन बदले, हालात बदले, लेकिन शैतान राज्य के मंसूबे नहीं बदले। रामराज्य ने उनकी हर कोशिश नाकाम कर दी थी। एक बार तो हद ही हो गई। शैतान राज्य के कुछ शैतानों ने रामराज्य के दिल पर हमला बोल दिया। कई मासूमों को मौत की नींद सुलाने के बाद भी शान से कहता रहा कि वो उसकी करतूत नहीं थी। रामराज्य के राजा ने उसे कार्रवाई करने के लिए कहा, उसने सबूत मांगा। सबूत दिया, फिर भी वो अड़ा रहा कि वो तो थे ही नहीं।

इस बार रामराज्य के राजा को गुस्सा आ गया। सालों से जर्जर पड़ा सब्र का बांध आखिर टूट गया। रामराज्य के राजा ने भी अपने पूर्वज राम से सीख ली और शैतानों की सेना पर चढ़ बैठा। झूठी शान बघारने वाली शैतानों की सेना इस बार भी दुम दबा कर भागने लगी, लेकिन इस बार राजा ने खतरा नहीं उठाया और पूरे शैतानराज का ही खात्मा करके दम लिया। ये वो कहानी है, जो कभी भी सच हो सकती है।


धर्मेद्र केशरी

1 comment:

  1. हिन्दी चिट्ठाजगत में स्वागत है।

    लगता है कि आप हिन्दी फीड एग्रगेटर के साथ पंजीकृत नहीं हैं यदि यह सच है तो उनके साथ अपने चिट्ठे को अवश्य पंजीकृत करा लें। बहुत से लोग आपके लेखों का आनन्द ले पायेंगे। हिन्दी फीड एग्रगेटर की सूची यहां है।

    कृपया वर्ड वेरीफिकेशन हटा लें। यह न केवल मेरी उम्र के लोगों को तंग करता है पर लोगों को टिप्पणी करने से भी हतोत्साहित करता है। आप चाहें तो इसकी जगह कमेंट मॉडरेशन का विकल्प ले लें।

    ReplyDelete